चंद्रयान 3 ने 6:04 पर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ भारत ने एक नया इतिहास रच दिया है। अगर देखा जाए तो भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश है लेकिन चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश हमारा भारत बन चुका है।
चंद्रयान 3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण पूरे देश में कई स्कूलों ,सरकारी भवनों ,कॉलेज और अलग-अलग जगह किया गया था। चंद्रयान तीन की लैंडिंग के दौरान देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी देश में मौजूद नहीं थे लेकिन उन्होंने अफ्रीका से इसका सीधा प्रसारण देखा और जैसे ही लैंडिंग हुई वैसे ही इसरो के अध्यक्ष ने उन्हें बधाई दी। लैंडिंग होने से पहले के कुछ सेकण्ड्स में श्री नरेंद्र मोदी के चेहरे की भावभंगिमा देखने लायक थी। उनके चेहरे को देखकर बताया जा सकता था कि वैज्ञानिक को और देशवासियों की तरह वह भी काफी उत्सुक थे।
चंद्रयान तीन का बजट लगभग 615 करोड़ था यह बजट इतना कम था कि इस बजट में तो कई हॉलीवुड की फिल्में भी नहीं बन पाती। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रयान 3 को चंद्रमा पर उतार कर यह साबित कर दिया कि इच्छा शक्ति कई बार कीमत पर भारी पड़ जाती है। चंद्रयान तीन का कम बजट इस बात को साबित करता है कि इसरो रिसोर्सेज को ऑप्टिमाइज करके भी मिशन पा सकता है।
अब चंद्रमा पर क्या करेगा चंद्रयान-3 ?
14 जुलाई को लांच हुआ चंद्रयान-3 मिशन अब आने वाले दो हफ्तों तक चंद्रमा के साउथ पोल पर घूमेगा और पानी के नमूनों को इकट्ठा करेगा। धरती के 14 दिन चांद के 1 दिन के बराबर है यानी चांद के हिसाब से देखा जाए तो चंद्रयान-3 चांद पर केवल एक दिन रहेगा और पानी और बर्फ से जुड़ा हुआ डाटा कलेक्ट करेगा।
चंद्रयान 3 अपनी 4 स्टेज को पार करके चंद्रमा पर लैंड कर चुका है। पहली स्टेज को रफ़ ब्रेकिंग स्टेज कहा गया है। दूसरी स्टेज को एल्टीट्यूड होल्ड स्टेज कहा जाता है और तीसरी स्टेज को फाइन ब्रेकिंग स्टेज कहा जाता है और चौथी स्टेज को वर्टिकल डीसेंट स्टेज कहा जाता है। इसके बाद विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा।
चंद्रयान-3 अपने साथ आठ पेलोड का एक सेट ले गया है इसमें एक पेलोड अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा ने भी दिया है। चंद्रयान-3 का लेंडर मॉड्यूल आईएलएसए नाम का एक खास उपकरण भी अपने साथ ले गया है। यह चांद पर भूकंप और इससे जुड़ी हुई गतिविधियों की निगरानी के लिए बनाया गया एक खास उपकरण है। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि चंद्रमा दरअसल पृथ्वी के मुकाबले 1000 गुना ज्यादा शांत है और आईएलएसए जब इस उम्मीद पर अपनी सील लगा देगा तो यह खोज भविष्य में होने वाली खोजने के लिए एक नया रास्ता देगी।
इसके अलावा रंभा और लंगमुइर प्रोब भी चंद्रमा पर भेजे गए हैं यह चंद्रमा पर इसकी प्लाज्मा एक्टिविटीज का अध्ययन करेंगे।
भारत के लिए यह पल बहुत बड़ा है। भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देश की आंखें चंद्रयान तीन पर लगी हुई थी। चंद्रयान-3 की चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग के बाद चंद्रमा के कई आयाम भारत और पूरी दुनिया के सामने आएंगे। चंद्रमा का वह अबूझ हिस्सा जिस पर हमेशा से अंधेरा रहा करता था अब प्रकाश में होगा। अब दुनिया जान कि आखिरकार चंद्रमा के साउथ पोल पर क्या वाकई पानी है या वहां सिर्फ अंधेरा और बड़े-बड़े गड्ढे और गहरी खाई हैं।