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चांद पर उतरने के बाद अब , भारत करेगा सूर्य को नमस्कार। भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल 1 लॉन्च हो चुका है।

 चंद्रमा की साउथ पोल पर सक्सेसफुल लैंडिंग करने के बाद आज भारत फिर से इतिहास रचने आ चुका है। आज यानी की 2 सितंबर 2023 को भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल 1लॉन्च हो चुका है। आईए जानते हैं इसके बारे में। 

आदित्य एल 1 भारत का पहला सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसने आज यानी 2 सितंबर 2023 को भारतीय समय के अनुसार 11:50 बजे श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी है।  इसे सूर्य तक पहुंचने में 4 महीने का समय लगेगा। 

इस मिशन का नाम है ‘आदित्य’ जो कि सूर्य देवता के नाम पर रखा गया है।  L1 का मतलब है लैंग्रेज बिंदु ,  यह पृथ्वी से उस जगह जा रहा है जो सूर्य और पृथ्वी के बीच का सटीक स्थान है। 

लैंग्रेज अंतरिक्ष में वह पॉइंट है जो की परिक्रमा करने वाले दो विशाल पिंडों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के तहत छोटे द्रव्यमान वाली वस्तुओं के लिए संतुलन का पॉइंट होता है यहां से यह सूर्य को बिना किसी ग्रहण के देखने का अवसर भी मिलेगा।

आदित्य L1 सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी एल 1 से सूर्य की तमाम गतिविधियों पर अपनी नजर को बनाए रखेगा। यह यहां से सातों दिन 24 घंटे सूर्य पर अपनी नजर गड़ाए रखेगा। आदित्य L1 एक जगह स्थिर होकर अध्ययन करेगा और इस पृथ्वी और सूर्य के परिक्रमा नहीं लगानी पड़ेगी। 

इसरो के अनुसार ऑर्बिटल में सात पोलोड है जिनमें से चार  सीधे सूर्य की हर गतिविधि पर अपनी नजर रखेंगें और बाकी के तीन एल्बम पॉइंट पर चुंबकीय क्षेत्र का स्टडी करेंगे। 

सूर्य की तीनों परतों यानी कि कोरोना परत जो सूर्य की बाहरी परत है और सूर्य के फोटोस्फीयर और ठीक उसके ऊपर क्रोमोस्फीयर पर अपना अध्ययन करेगा।

 यह मिशन सूर्य के तापमान पर , मौसम की गतिशीलता पर और सूर्य की पराबैंगनी किरणों पर स्टडी करेगा। हम सूर्य की स्टडी से जान पाएंगे कि किस तरह अंतरिक्ष में सभी ग्रह सूर्य की ऑर्गेनाइज्ड तरीके से परिक्रमा कर रहे हैं और यह की क्या पूरा सौरमंडल सूर्य से निकला है या फिर कुछ ग्रह कहीं और से भी आए हैं। आदित्य एल 1 सूरज के आसपास के हवामंडल का अध्ययन करेगा और साथी सूर्य की संरचना गतिशीलता और आसपास के हवा के उत्पत्ति के बारे में जांच करेगा। 

सूर्य के बारे में जानना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य सैयरमंडल का हिस्सा होने के साथ-साथ इकलौता पास का या करीब का तारा है। हमारे जीवन को ऊर्जा सूर्य से मिलती है और सूर्य की ही वजह से पृथ्वी पर दिन और रात होते हैं ,  मौसम में परिवर्तन होता है , सागर में लहरें उठ करती हैं। अगर हम सूर्य के बारे में जानकारी जुटा पाएंगे तो हम यह भी जान पाएंगे कि हमारे सौरमंडल का अस्तित्व कब तक रहेगा इन सभी चीजों को समझने के लिए सूर्य का अध्ययन महत्वपूर्ण है। 

अगर भारत का आदित्य एल 1 सक्सेसफुल होता है तो भारत उन देशों की गिनती में आ जाएगा जो कि पहले से सूर्य की स्टडी कर रहे हैं। सूर्य की स्टडी करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। सबसे पहले जापान ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए 1981 अपना मिशन लॉन्च किया था। उसके बाद NASA और ESA ने साथ मिलकर सोलर ऑर्बिटर  लॉन्च किया था जो सूर्य का अध्ययन कर रहा है।  इसके बाद 2021 में नासा ने सूर्य के बाहरी वातावरण के माध्यम से पहला अंतरिक्ष यान बनकर इतिहास रच दिया । भारत के आदित्य एल 1 का बजट लगभग 450 करोड़ रुपये है।

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