एक ओर चंद्रयान 3 ने भारत का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिख दिया है। वहीं दूसरी ओर भारत का पहला सौर मिशन आदित्य L1 शनिवार को रवाना हो चुका है। पीएसएलवी सी-57 रॉकेट के जरिए इसके प्रक्षेपण के 64 वे मिनट में यह तय कक्षा में पहुंचा दिया गया था। 4 महीने बाद आदित्य एल 1 लेन्ग्रेरीयन पॉइंट पर पहुंच जाएगा। अब नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के बाद इसरो इस उपलब्धि को हासिल करने वाली तीसरी स्पेस एजेंसी बन जाएगी। अभी तक सूर्य से आ रहे कणों , रेडिएशन और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करना वाला कोई भी सेटेलाइट L1 पॉइंट पर नहीं पहुंचा है। और यही नहीं हम चार उपकरणों से सूर्य की सीधे और तीन उपकरणों के जरिए कणों व क्षेत्र का एक साथ अध्ययन करने वाली पहले स्पेस एजेंसी भी होंगे।
यह उपलब्धि अपने आप में ही हमारे देश भारत और हमारी स्पेस एजेंसी इसरो के लिए बहुत बड़ी बात है और इस उपलब्धि के न केवल भारत के लिए बड़े मायने हैं बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी यह हमेशा मायने रखता है।
इधर आदित्य L1 अपने मिशन की ओर निकल चुका है वहीं दूसरी ओर चंद्रयान तीन का रोवर चांद की सतह पर 100 मीटर से अधिक दूरी तय कर चुका है। मिशन लाइफ के 14 दिन पूरे होने से पहले ही इसरो की कोशिश है कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर यानी दोनों को ही सुला दिया जाए। ताकि उनके पास उपलब्ध गर्मी से वे चांद पर होने वाली रात की ठंडक का सामना कर सके।
अगर ऐसा हो पाया तो जब चांद का अगला दिन शुरू होगा तब सोलर पैनल से एक बार फिर चार्ज होने के बाद लैंडर और रोवर दोनों सक्रिय हो सकते हैं। इसरो इन दोनों उपकरणों से अब तक मिले डाटा से संतुष्ट है। चंद्रयान तीन के लिए जो लक्ष्य तय किए गए थे इन्हें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगभग हासिल कर चुके हैं।