ब्लैक होल – हम सब ने यह शब्द सुना और पढ़ा है लेकिन क्या हम उसका अर्थ सही रूप से जानते और समझते हैं।
ब्लैक होल अंतरिक्ष में वह जगह है जहां भौतिकी का कोई लक्ष्य लागू नहीं होता। कहा जाए तो यहां समय और जगह का कोई मतलब ही नहीं है। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बल इतना शक्तिशाली है जिसकी हम कल्पना तक नहीं कर सकते। लाइट यानी कि प्रकाश की गति बहुत ही तीव्र होती है ब्लैक होल अपने खिंचाव से इसको भी अवशोषित कर लेता है। सरल शब्दों में कह सकते हैं कि इसमें जो भी गया वह बाहर नहीं आ सकता।
ब्लैक होल को विज्ञान के 1 उदाहरण से ऐसे समझा जा सकता है कि जब हम किसी टॉर्च या फ्लैशलाइट से प्रकाश करते हैं तो वह प्रकाश रिफ्लेक्ट होकर हमारी आंखों पे आता है तभी वह चीज हमें दिखाई पड़ती है, लेकिन यदि मान लें कि प्रकाश वापस लौट कर आए ही ना तो वह जगह ब्लैक होल हो सकती है।
ब्लैक होल को हिंदी भाषा में कृष्ण विवर कहते हैं।
हमने हमेशा सुना है कि अभी हम ब्लैक होल में चले जाएं तो हमारे साथ दो चीजें हो सकती हैं या तो हम उसकी सबसे ऊपरी सतह पर जलकर राख हो जाएंगे या तो उसके अंदर की गहराइयों में जाते जाएंगे। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या ब्लैक होल अंदर से गर्म होते हैं या ठंडे इसका जवाब यह है कि ब्लैक होल अंदर से ठंडे होते हैं लेकिन बाहर से बहुत गर्म होते हैं।
ब्लैक होल अपने आप में पूरी तरह से काले होते हैं और अदृश्य होते हैं अथवा धूलऔर गैस के बादलों में डूबे हुए हैं। ब्लैक होल के चार प्रकार हैं :-
1. स्टेलर
2. इंटरमीडिएट
3. सुपरमैसिव
4. मिनिएचर
ब्लैक होल के बनने का सबसे आसान तरीका तारे की मृत्यु है जैसे ही तारा अपने जीवन के अंत तक पहुंचता है अधिकांश फूलता है अपना द्रव्यमान खो देता है और ठंडा हो जाता है।
इतनी बातें जानने के बाद यह बात तो साफ है कि ब्लैक होल के अंदर जाने के बाद किसी का भी उससे बाहर आना मुश्किल या नामुमकिन सा है ।जो भी इसके अंदर गया वह हमेशा के लिए ब्रह्मांड से गायब हो सकता है। कहा गया है कि पृथ्वी यदि ब्लैक होल के अंदर चली जाएगी तो धरती पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाएगा।
ब्लैक होल पृथ्वी के लिए कैसे खतरा हो सकता है?
वैज्ञानिकों ने तारामंडल में फिर से जांच की है। इस तारामंडल के केंद्र में एक ब्लैक होल पाया गया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ब्लॉक खोलने अपनी दिशा बदल ली है और इसका मुंह सीधा पृथ्वी की ओर हो गया है। PBC J2333.9-2343 नामक यह तारामंडल पृथ्वी से 657 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी की ओर लगातार विकिरण भेज रहा है। इससे निकलने वाले रेडिएशन पृथ्वी तक पहुंच रहे हैं यह बात बहुत ही आश्चर्यजनक है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह ब्लैक होल इतना बड़ा है कि इसमें हमारे कई सूरज समा जाएंगे।
ब्लैक होल में गिरने पर आप प्रकृति के रहस्यों को खोजते हुए बिना किसी झटके से ,ब्लैक हॉल में गिरते चले जाएंगे यह फ्री फॉल जैसा होगा, जैसे आइंस्टाइन ने हैपिएस्ट थॉट कहा था ।इवेंट हॉराइजन नाम की कोई चीज अगर होती भी है तो यह आपकी चिंता का विषय है अभी नहीं है। यह जरूर है कि अगर ब्लैक हाेल का आकार छोटा हुआ तो आपको दिक्कत हो सकती है। गुरुत्वाकर्षण का बल तब आपके पांव में ज्यादा महसूस होगा, सिर से बजाए। लेकिन मान लेते हैं कि यह ब्लैक होल हमारे सूर्य से काफी बड़ा है। एक हकीकत यह भी है कि बड़े ब्लैक होल में आप अपना पूरा जीवन सामान्य तौर पर बिता सकते हैं । वैसे कितना सामान होगा यह तो सोचने की बात है। कारण कि इसमें स्पेस और टाइम का कोई अर्थ ही नहीं है। आपकी कोई भी अच्छा काम नहीं कर सकती। आप दूसरी ओर करवट भी नहीं ले सकते। यदि इसके बारे में और ध्यान से सोचा जाए तो हम पाएंगे कि यह एक समय के जैसा ही अनुभव है समय जैसे आगे की तरफ बढ़ता है कभी पीछे की तरफ नहीं बढ़ सकता। यह हमारी इच्छा के खिलाफ बढ़ सकता है और हमें पीछे टर्न लेने से रोक सकता है। यानी साफ है कि आप ब्लैक होल में पलट नहीं सकते और ना ही ब्लैक होल को छोड़कर भाग सकते हैं। ऐसे वक्त में आपके दिमाग में एक सवाल जरूर कौंधेगा कि जे़न के साथ क्या हुआ था, वह आपको इवेंट होराइजन की सतह पर क्यों जलाने पर उतारू थी। दरअसल जे़न तार्किक ढंग से सोच रही थी उसके नजरिए से आप ब्लैक होल पर चले जाएंगे। यह कोई भ्रम की स्थिति नहीं है वह आपके अवशेष को जमा करके आपके परिवार के लोगों को भी भेज सकती हैं। लेकिन ब्लैक होल के अंदर जाते ही जे़न के भौतिक विज्ञान के नियम पर काम नहीं करेंगे वहीं दूसरी और भौतिक विज्ञान के नियमों के मुताबिक आप होराइजन के अंदर सीधे जा सकते हैं ,बिना गर्म कणों से टकराए । नहीं तो आइंस्टाइन के हैपिएस्ट थौट और सापेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। इस लिहाज से भौतिक विज्ञान विज्ञान के साथ दोनों में से कोई भी स्थिति हो सकती है कि बाहरी सतह पर जलकर राख हो सकते हैं या फिर उसके अंदर आसानी से पहुंच सकते हैं। धरती की बात करें तो हमारे पास गामा रेज से सुरक्षा के लिए कवच हैं । सूरज से निकलने वाली हानिकारक गामा किरणों को किरणों को ओजोन की परत रोक सकती है। लेकिन एक शक्तिशाली GRB अगर हमारी गैलेक्सी में पैदा होता है तो वह इसे भी तबाह कर सकता है यह किरणें बहुत शक्तिशाली होते हैं कि डीएनए तक को फाड़ सकती हैं और एटम्स से इलेक्ट्रॉन निकाल सकती हैं।
इनकी गति प्रकाश के बराबर होती है यानी अगर कोई ऐसा GRB आता है तो हमारे पास खुद को बचाने का जरा भी समय नहीं रह जाएगा. हालांकि इसकी आशंका काफी कम है धरती को नुकसान पहुंचाने के लिए हमारी आकाशगंगा से ही इसे पैदा होना होगा। रिसर्च का मानना है कि GRB की तुलना में धरती को किसी एस्टेरॉइड से ज्यादा खतरा होगा।
ब्लैक होल को ब्रह्मांड का सबसे बड़ा विलेन कहा जाता है। एस्ट्रोनॉमर्स कहते हैं कि ब्लैक होल बहुत खतरनाक है और सूरज से 5 से लेकर 100 गुना तक ज्यादा बड़े हैं। इतना ही नहीं केवल हमारी आकाशगंगा यानी कि मिल्की वे में ही इनकी संख्या 100 मिलियन से ज्यादा की है। अब यह तो साफ है कि ये धूल, ग्रह, प्रकाश ,तारे कुछ भी निगल सकता है इसके बावजूद कभी भी इनकी भूख शांत नहीं होती है । ब्लैक होल की शुरुआत कहां से होती है इस बात की खोज आज तक वैज्ञानिक नहीं कर पाए हैं ।वैज्ञानिक इस रहस्य को सुलझाने के लिए काफी वर्षो से काम कर रहे हैं लेकिन अभी तक उनको सफलता प्राप्त नहीं हुई है।