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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) क्या है? कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) कैसे काम करता है?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)

एआई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। क्या हमने आज से पहले इस नाम को सुना है? सुना तो कई बार है लेकिन आज समझने की कोशिश करेंगे। आइए विस्तार से जानते हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में।

एआई एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसकी मदद से इंटेलिजेंट मशीन का निर्माण किया जाता है जिसमें इंसानों की तरह सोचने की क्षमता होती है।

सरल शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई एक ऐसी विधि है जिसका इस्तेमाल करके एक कंप्यूटर रोबोट और मशीन इंसान की तरह सोचने लग जाता है।

आर्टिफिशियल का संधि विच्छेद हम दो भागों में कर सकते हैं। गौर से देखें तो यह शब्द दो भागों में बटा हुआ है पहला “आर्टिफिशियल” और दूसरा जो कि “इंटेलिजेंस” इसमें  आर्टिफिशियल का अर्थ निकलता है !इंसानों के द्वारा बनाया गया’ और इंटेलिजेंस का मतलब होता है ‘सोचने की शक्ति’ या ‘सोचने की क्षमता’।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मशीन इंटेलिजेंस में कहा जाता है इसमें मशीनों के अंदर इंसानों की तरह सोचने और कार्य करने की क्षमता को विकसित किया जाता है। जैसे कि इंसानों की तरह बातें करना, याददाश शक्ति उत्पन्न करना कुछ चीजों को सीखना, स्वयं निर्णय लेना और किसी भी परेशानी को हल करना।

एआई को हिंदी में “कृत्रिम बुद्धिम्ता” कहा जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कंप्यूटर साइंस की उभरती हुई टेक्नोलॉजी के रूप में देखा जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि दुनिया भर में इंटेलिजेंट मशीनों को बनाया जा सके ताकि मानव जीवन को और भी ज्यादा सरल रूप में बनाया जाए।

आय की परिभाषा जाने के बाद आए और उसका इतिहास जानता है Allen Newell और Herbert A. Simon ने वर्ष 1995 में सबसे पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम को विकसित करने में सफलता प्राप्त की थी।  इनके द्वारा इस प्रोग्राम का नाम “Logic Theorist” रखा गया था।

इसके बाद उसका नाम “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” John McCarthy ने 1956 में दिया था John McCarthy  को “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” का जनक या “फादर ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” भी कहा जाता है

जापान में पहला बुद्धिमान ह्यूमनॉइड रोबोट वर्ष 1972 में बनाया था जिसका नाम WABOT-1 रखा गया था

वर्ष 1980 में ही अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन नेशनल कांफ्रेंस स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित कर दिया था

बहुत बुलंदियां हासिल की  एआई ने-

1.आईबीएम डीप ब्लू ने वर्ष 1997 में विश्व शतरंज चैंपियन को हराया था। आईबीएम ब्लू पहला ऐसा कंप्यूटर था जिसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से किसी विश्व शतरंज चैंपियन को हरा दिया था।

2. पहली बार वर्ष 2002 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  वैक्यूम क्लीनर के रूप में आया जिसका नाम ROOMBA था।

3. वर्ष 2006 यानी कि 4 साल बाद बिजनेस की दुनिया में कदम रखा बहुत से बड़ी कंपनियां जैसे फेसबुक, नेटफ्लिक्स और ट्विटर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को उपयोग में लाना शुरू कर दिया था।

4.  एआई तकनीक वर्ष 2011 तक काफी मॉडर्न और एडवांस हो चुकी थी क्योंकि अब तक एआई बहुत ही बड़ी पहेलियां और समस्याओं को समझने और उसे हल करने में सक्षम हो चुकी थी। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कठिन से कठिन सवालों को जल्दी से जल्दी हल करने में सहायक थी। 

5. गूगल ने वर्ष 2012 में “गूगल नाउ” नामक ऐप को विकसित किया जो यूजर को भविष्यवाणी के रूप में जानकारी देने में सक्षम था।

6. और सबसे चर्चित बात- वर्ष 2020 में Baidu ने LinearFold AI एल्गोरिथ्म को रिलीज किया था जिसका इस्तेमाल कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने के लिए किया गया था।

इतने फायदे जानने के बाद अब बारी है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कुछ नुकसान जानने की-

 1. रचनात्मकता की कमी

 2. भाविन होना

 3. मनुष्य को आलसी बनाता जा रहा है

 4. काफी महंगा है

 5. बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है

इतना सब समझने के बाद अब हम हमारी निजी जिंदगी में एआई का उपयोग समझेंगे-

शुरुआत करते हैं एडवर्टाइजमेंट और गूगल सर्च से- जब हम गूगल सर्च इस्तेमाल करते हैं और कुछ सर्च करने के बाद किसी भी पेज पर पहुंचते हैं जहां पर गूगल का एडवर्टाइजमेंट आता है, यदि उस एडवर्टाइजमेंट को आप अच्छी तरह से देखेंगे तो यह पता लगेगा कि आपने पहले जो भी सर्च किया हुआ है उसके आधार पर ही गूगल आपको एडवर्टाइजमेंट दिखाता है।

इस कार्य में एआई की बहुत बड़ी भूमिका है, मशीन डाटा माइनिंग करती है, डाटा का एनालिसिस करती है और उसके आधार पर आपने जो भी कुछ सर्च किया है उस सर्च के आधार पर आपको एडवर्टाइजमेंट दिखाई जाती है।

1. फेसबुक में एआई- आज के आधुनिक दौर पर हम सभी फेसबुक का इस्तेमाल जरूर करते हैं, तो आपने फेसबुक का इस्तेमाल करते हुए यह देखा होगा कि आप जो भी कंटेंट या वीडियो फेसबुक में देखते हैं और उसे पसंद करते हैं तो वैसे ही अगला कंटेंट या वीडियो आपके सामने प्रस्तुत होता है। यानी कि फेसबुक फीड आप की पसंद को मॉनिटर करता है।

2. यूट्यूब में एआई का इस्तेमाल- क्या यूट्यूब में आपको डांस किया म्यूजिक से रिलेटेड वीडियो देखना पसंद है?

यदि है और आप वह देखते हैं तो गौर कीजिएगा कि आप जब अगली बार यूट्यूब में जाएंगे तो आपको वही डांस और म्यूजिक से रिलेटेड वीडियोस दिखाई देंगे जिसमें आपकी रुचि है यानी यूट्यूब भी आपके रुचि के आधार पर आपको कंटेंट दिखाता है।

3. वेरिफिकेशन ऑफ डॉक्यूमेंट में एआई का इस्तेमाल- एक फाइनेंशियल कंपनी है जिसका नाम JP Morgan है, जो लीगल डॉक्यूमेंट को वेरीफाई करने का काम करती है। इसके लिए वह एआई मशीन का उपयोग करती है। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम अगर हम इंसानों से करवाएं तो काफी ज्यादा वक्त लग सकता है। उदाहरण के रूप में यदि हम 12000 डॉक्यूमेंट को वेरीफाई करवाएं तो 36000 घंटे का समय लगेगा लेकिन यही काम एआई की मदद से कुछ ही पलों या कुछ ही घंटों में आसानी से किया जा सकता है।

4. आई डॉक्टर ए आई- आंखों की बहुत सारी बीमारियां होती है जैसे मायोपिया ,हाइपरमेट्रोपिया और बायोपिया। लेकिन “डायबीटिक रेटिनोपैथी” एक ऐसी बीमारी है जो अंधापन ला सकती है। इस कंडीशन में गूगल का “एआई आई डॉक्टर” पेशेंट के आंखों की रेटिना के डायबिटिक रेटिनोपैथी कंडीशन को चेक करने में 90% तक की एक्यूरेसी रखने का दावा करता है। पेशेंट को अंधा होने से बचाने में यह सिस्टम बहुत काम आता है।

5. हेल्थ फील्ड में एआई का उपयोग- आईबीएम आईटी फील्ड में एक बहुत ही बड़ी कंपनी मानी जाती है। इस कंपनी ने हेल्थ केयर के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। यह सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करता है। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल वर्ल्ड वाइड 200 से भी ज्यादा हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन करते हैं, इसकी खास बात यह है की डॉक्टर को मरीज की बीमारी का उपचार करने में यह मददगार साबित होता है।

6. सोशल मीडिया कर रहा है एआई का इस्तेमालम फेसबुक फेस रिकॉग्निशन सिस्टम का इस्तेमाल कर के लोगों की पहचान करके उनके ऊपर टैग लगाने का काम अपने आई अपने आप एआई की मदद से हो रहा है बैटरी एआई का बहुत इस्तेमाल करता है अगर यदि कोई व्यक्ति गाली गलौज या नकारात्मक गतिविधियों के लिए ट्विटर का इस्तेमाल कर रहा है उसे ढूंढ कर उसका अकाउंट कर बंद देता है।

7. Augmented Reality मैं हो रहा है एआई का इस्तेमाल – ऑगमेंटेड रियलिटी को हम सब जानते हैं और हम इसका उपयोग हमारे घर पर ही रह कर अपने फोन के द्वारा कर सकते हैं। ऑगमेंटेड रियलिटी के लिए हमारा सिस्टम या हमारा फोन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करता है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से हम अपने कैमरे के माध्यम से आसपास के एरिया को स्कैन कर सकते हैं और और कई ऑब्जेक्ट को डिटेक्ट कर सकते हैं। न्यूरल नेटवर्क की मदद से ऑब्जेक्ट डिटेक्शन का काम पॉसिबल हो पाता है। न्यूरल नेटवर्क एआई का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है।

8. एआई का उपयोग करता गूगल फोटोज एप- आपके फोटो को स्मार्ट तरीके से ऑनलाइन स्टोर करने के लिए गूगल गूगल फोटोज का यूज़ होता है। इस ऐप में आप पीपल को रिकॉग्नाइज कर सकते हैं। इस फैसिलिटी की मदद से आपको सिर्फ गूगल को एक बार बताना होता है कि यह अमित शाह है उसके बाद यह सॉफ्टवेयर की मदद से एआई आपके सभी फोटो में से अमित शाह को अपने आप पहचान लेता है और अलग कर देता है। एआई की मदद से ही यह फेस डिटेक्शन टेक्नोलॉजी का उपयोग संभव होता है।

     एआई के तीन प्रकार होते हैं

     1. आर्टिफिशियल सुपर इंटेलिजेंस 

     2. आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस

     3. आर्टिफिशियल नैरो इंटेलिजेंस

आर्टिफिशियल सुपर इंटेलिजेंस:- इसके काम करने की काबिलियत इंसानों से भी ज्यादा होती है। हमने काफी मूवीस में ऐसा देखा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्ल्ड को अपने हाथों में ले सकता है और आने वाले समय में सभी काम रोबोट की मदद से होंगे इंसानों को कुछ नहीं करना पड़ेगा। हालांकि अभी ऐसा आर्टिफिशियल सुपर इंटेलिजेंस डिवेलप नहीं हुआ है इसलिए अभी के लिए डरने की कोई आवश्यकता नहीं।

आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस:- इसको स्ट्रांग एआई भी कहते हैं। इसमें  मशीन इंसानों की तरह सोच और उनकी तरह काम कर सकती हैं।

आर्टिफिशियल नैरो इंटेलिजेंस:- इसका दूसरा नाम Weak AI है। इसका उपयोग छोटे और आसान कामों को पूरा करने के लिए ही किया जाता है। इसका उपयोग है बहुत ही कम है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत ही बड़ा मार्केट रेवेन्यू जनरेट करता जा रहा है। देखा जा रहा है कि आने वाले समय में इस टेक्नोलॉजी की ट्रेडिंग बहुत हाई रह सकती है। हम इंसान अनुभवों से सीखते हैं लेकिन मशीन को सीखने के लिए बहुत सारा डाटा देना पड़ता है, उस डाटा को बार-बार एनालिसिस करने के लिए एक सिस्टम तैयार किया जाता है जिससे मशीन की इंटेलिजेंस केपेसिटी बढ़ती है। गूगल सर्च, यूट्यूब, गूगल मैप्स, फेसबुक, असिस्टेंट, एप्पल सिरी यह सारे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उदाहरण है और हमारे काफी उपयोग में है।

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