दो ग्रहों के आपस में टकराने के बाद जो परिणाम होते हैं वह बहुत ही भयानक होते हैं। हम इंसान यह समझ भी नहीं सकते हैं कि अगर कोई ग्रह हमारी धरती से टकराएगा तो हमारी धरती का क्या हाल होगा। जब एक एस्ट्रॉयड धरती से टकराता है तो धरती में बहुत बड़े गड्ढे होने की संभावना होती है तो जरा सोच कर देखिए कि मंगल ग्रह का अपना ही चंद्रमा अगर उससे टकरा जाएगा तो क्या होगा।
फ़ोबोस मंगल ग्रह के दो नेचुरल सेटेलाइट में से एक है या यह कहा जा सकता है कि फ़ोबोस मंगल ग्रह का चंद्रमा है। फ़ोबोस का नाम यूनानी देवता फ़ोबोस के नाम पर रखा गया है जो एरिस बेटा और डिमोज़ का भाई था।
फ़ोबोस मंगल के चंद्रमा में से सबसे निकट है और अब वह मंगल के और भी करीब जाने के लिए तैयार है। बल्कि मंगल ग्रह का दूसरा चंद्रमा डेमोज़ अब तक बाहर की ओर जाता हुआ नजर आता है और यह तब तक बाहर की ओर ही बढ़ता रहेगा जब तक यह मंगल ग्रह की कक्षा को नहीं छोड़ देता है।
नासा के पर्सीवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की जमीन से सूर्य ग्रहण लगते हुए फ़ोबोस की एक बेहतरीन तस्वीर कैद की थी।
वैज्ञानिक पहले से ही जानते हैं कि मंगल ग्रह का चंद्रमा बर्बाद हो चुका है। नासा ने अपने एक बयान में पर्सीवरेंस रोवर के द्वारा लिए गए तस्वीर पर चर्चा करते हुए यह कहा था। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है ” मंगल का चंद्रमा अपने होस्ट ग्रह की जमीन के करीब आ रहा है और लाखों वर्षों के बाद यह अपने ग्रह से ही टकरा जाएगा और यह बात बिल्कुल तय है। लेकिन पिछले दो डिकेड्स में मंगल की जमीन से उसके चंद्रमा पर लगे ग्रहण को देख कर वैज्ञानिकों को फ़ोबोस की धीमी गति और उसके खत्म होने के बारे में अपनी समझ को और भी ज्यादा बेहतर बनाने में मदद मिली है। ”
वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारा खुद का चंद्रमा भी शायद धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों की चालाकियों से थक गया है और हर साल लगभग 3.78 सेंटीमीटर धरती से दूर जाता जा रहा है इसका अर्थ यह है कि आने वाले वक्त में हमारे डिसेंडेंट्स कभी पूरा सोलर एक्लिप्स नहीं देख पाएंगे। सूर्य को ढकने के लिए यह हमारे नजरिए से बहुत छोटा होगा , कहने का मतलब है कि आने वाले समय में हमारे डिसेंडेंट्स चंद्रमा को सूरज को उठाते हुए नहीं देख पाएंगे क्योंकि तब चांद हमसे बहुत दूर हो चुका होगा और सूरज को ढकने के लिए वह काफी छोटा नजर आएगा।
नासा के गोड्डार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की मून साइंटिस्ट रिचर्ड वोन्द्रक ने 2017 में कहा था ” समय के साथ साथ सोलर एक्लिप्स की संख्या कम होती जाएगी और अब से लगभग 600 मिलियन साल बाद हमारी पृथ्वी आखरी बार टोटल सोलर इक्लिप्स को आखरी बार देख पाएगी। ”
फैक्ट यह है कि हमारा चंद्रमा असलियत में सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है और यह देखने में काफी खूबसूरत नजर आता है। सूरज और चंद्रमा आकाश में हमें लगभग एक ही आकार के दिखाई देते हैं क्योंकि सूरज पृथ्वी से चंद्रमा की तुलना में 400 गुना ज्यादा दूर है और डायमीटर में भी चंद्रमा से लगभग 400 गुना ज्यादा बढ़ा है। 4 मिलीयन साल पहले चंद्रमा अपनी वर्तमान ऑर्बिट में आने से पहले आकाश में आज की तुलना से लगभग 3 गुना बड़ा दिखाई देता था।
कुछ मिलियन साल बाद धरती से देखने पर सूरज एक लाल दानव बन जाएगा और चंद्रमा के प्रभाव से अलग होने के ठीक पहले पृथ्वी को अपने आवरण में घेर लेगा और धरती और चंद्रमा अंत एक साथ हो जाएगा।