सूर्य ऊर्जा का अक्षय स्रोत है। इससे लगातार बड़ी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। एक उष्णकटिबंधीय देश होने के नाते, भारत में सौर ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग की अधिक संभावनाएं हैं। यह लगभग 20 मेगावाट प्रति वर्ग किमी प्रति वर्ष है। वस्तुत: यदि इस ऊर्जा का देश में पर्याप्त दोहन किया जाए तो यह ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत सिद्ध हो सकती है। जब तक ब्रह्मांड में सूर्य मौजूद है, तब तक उससे भारी मात्रा में सौर ऊर्जा प्राप्त होती रहेगी।
भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है और भारत लगभग पूरे वर्ष 3,000 घंटो की धूप के बराबर सूर्य का प्रकाश प्राप्त करने में सफल है। अगर हम इतनी धूप को बिजली में परिवर्तित करें, तो यह लगभग 50,000 खरब किलोवाट के बराबर है। भारत के लगभग सभी प्रति वर्ग मीटर के हिस्से में, प्रति घंटे 4 से 7 किलोवाट की औसत से सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 2,300 से 3,200 घंटे धूप निकलती है।
भारत के कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल आदि में अपने स्थान के कारण सौर ऊर्जा का उपयोग करने की अपार संभावनाएं हैं। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने कई बड़ी परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा है।
भारत के पास थार रेगिस्तान में कुछ बेहतरीन सौर ऊर्जा परियोजनाएं हैं, जो लगभग 700 से 2,100 GW ऊर्जा पैदा करने में सक्षम हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन 1 मार्च 2014 को मध्य प्रदेश के नीमच जिले के दीकन में किया था।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन ने वर्ष 2022 तक 20,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है।
1000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन का लक्ष्य लेकर गुजरात का सौर ऊर्जा अनुसंधान काम कर रहा है।
जुलाई 2009 में अनावरण की गई $19 बिलियन की सौर ऊर्जा योजना के वर्ष 2020 तक 20 GW सौर ऊर्जा उत्पन्न करने का अनुमान है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सौर लालटेन, स्ट्रीट लाइट सिस्टम और सौर जल पंप आदि जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए लगभग 66 मेगावाट सौर ऊर्जा निर्धारित की गई है।
सौर नीतियों, परियोजनाओं और राष्ट्रीय सौर मिशन के कारण भारत धीरे-धीरे राज्य और केंद्र में व्यापक और महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा के उत्पादन में अपनी प्रमुखता दर्ज करवा रहा है। वर्ष 2014 के नवीनतम बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एक घोषणा की थी , जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार ने गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान और लद्दाख में कुछ मेगा सौर ऊर्जा संयंत्रों के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि का प्रस्ताव किया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में क्रमशः 74 मिलियन डॉलर और 18.5 मिलियन डॉलर की अनुमानित लागत से सौर ऊर्जा संचालित कृषि जल पम्प स्टेशन और नहर के किनारों पर 1 मेगावाट वाले सौर पार्क स्थापित किए जाएंगे। इन सभी तथ्यों को देखते हुए भारत दुनियाभर में सौर ऊर्जा संचालित देश के रूप में उभर रहा है।